बुधवार, 25 नवंबर 2015

कौन आया आज धरा पर

कौन आया आज धरा पर

गर्म हवा अपने पूरे शबाब पर थी ,सभी उस से डर दुबके पड़े थे .कोई सीना ताने डटा था .कौन हो तुम ,क्या सैनिक हो ?
इतनी बहादुर कहाँ?मैं एक कोपल हूँ .
पथरीली धरती चौंक गयी ,किसने उसका सीना चीरा ,कौन हो तुम ,क्या किसान हो ?
इतनी मेहनती कहाँ मैं तो एक नव अंकुरण हूँ .
अति वृष्टि से सब बह गए ,वर्षा भी थमते हुए पुछा कौन हो तुम ,क्या गोवर्धन पर्वत हो ?
इतनी विशाल कहाँ ,मैं तो गिन कर चार पत्तियाँ हूँ.
सूरज धरती पर आया ,किसी की मुस्कान ने दिल जीत लिया .कौन हो तुम क्या कोई फूल हो ?
अरे इतनी सुंदर कहाँ ,मैं तो बस हरे परिधान में हूँ .
सम्पूर्ण प्रकृति उसकी जिजीविषा पर निहाल थी और सृष्टि की सुंदरतम कृति इठलाती हुई झूम रही थी नव जीवन के ताल पर .



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